यह उपन्यास उस युवा वर्ग पर आधारित है जिसने ग्रामीण परिवेश के निम्न मध्यवर्गीय परिवार में संक्रमण के दौर में जन्य लिया अंतर तेजी हैं बढ़ रहे भूमंडलीकरण के कारण बड़े सपने देखने लगा ।
उत्तर भारत के राज्यों में आज भी 'बड़े सपने' का मतलब केवल 'भारतीय प्रशासनिक सेवा' में चयन होना है, ऐसा कहना बिलकुल भी गलत नहीं होगा । और इसी स्वप्न को पूरा करने की यह में यह युवा वर्ग इस स्वप्न में इतना डूब जाता है कि कभी-कभी तो वह अपनी स्वयं की पहचान तक भूलने को विवश हो जाता है । वह मनुष्य न होकर मशीन जैसा होने लगता है और चयन के बाद संघर्ष के पथ में बिखरे अनेक क्षणों को बस देखता-सा रह जाता है ।
यह कहानी एक ऐसे ही नायक की है, जो एक स्वप्न की पूर्ति के लिए कितने ही सपनों को तिलांजलि दे देता है, यहाँ तक कि अपने अन्तर्मन से भी कट जाता है ।
दूटता घर, एकाकीपन, बेरोजगारी, पारिवारिक महत्त्वाकांक्षा और 'एक बड़े स्वप्न के बीच के मानसिक द्वंद्व का चित्रण इस उपन्यास के महत्त्वपूर्ण पक्ष को
दर्शाता है ।
जन्म : उत्तर प्रदेश के सिद्धार्थ नगर जिले की बॉंसी तहसील के ‘गोरी’ नामक एक छोटे से ग्राम में 1 जनवरी, 1985 को ।
शिक्षा : प्रारम्भिक शिक्षा पास के गाम 'जोगिया बुजुर्ग' में स्थित सरकारी विद्यालय में हुई । फिर दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय, गोरखपुर से स्नातक ।
सिविल सर्विस परीक्षा-2011 मैं में इतिहास और हिन्दी साहित्य विषय लेकर 'भारतीय प्रशासनिक सेवा (IAS) " में चयन ।
मसूरी स्थित 'लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय प्रशिक्षण अकादमी' से प्रशिक्षण उपरान्त तमिलनाडू के विरुदुनगर जिले के ‘शिवकाशी’ राजस्व प्रभाग में ‘सब-कलेक्टर’ पद पर सितम्बर 2014 में नियुक्ति ।
सम्प्रति : तमिलनाडु के नीलगिरी जिले के मुख्यालय ऊटी में ‘परियोजना निदेशक, पहाडी क्षेत्र विकास कार्यक्रम' के पद पर कार्यरत ।