जन्म: 28 जुलाई, 1954, ग्राम मरुकिया, मधुवनी।
शिक्षा: एम.ए.।
भ्रमण तथा अध्ययन के शौकीन श्री झा के व्यावसायिक अनुभव गवर्नमेंट सप्लायर, ठेकेदारी, आर्मी कांट्रेक्टर, ट्रेडर, बिल्डर, उद्यमी, शेयर ब्रोकर एवं शैक्षिक संस्था के संस्थापक के रूप में रहे हैं।
निवास स्थान: 1-ए, पाटलिपुत्र कालोनी, पटना (बिहार)
सी. एम्. योहन्नान
जन्म: 1950, हैदराबाद। शिक्षा: 1978 में उस्मानिया विश्वविद्यालय से हिन्दी में एम.ए.; 1986 में मराठवाडा विश्वविद्यालय से पी-एच.डी.; 1979 में इलाहाबाद से साहित्यरत्न। प्रकाशित कृतियाँ: गीतकार नीरज (शोध-प्रबंध); मृत्युलीला-जीवनलीला (हिंदी उपन्यास); रेपटि वसंतम्, विमुक्ति, भूतल स्वर्गम, लो गायपडु वसंतम (तेलुगू उपन्यास); नाच्यो बहुत गोपाल, अर्द्धनारीश्वर (हिंदी); उचल्या (मराठी); लोहे की कमरपेटियाँ, देवाल्यों पर मिथुन-मूर्तियाँ क्यों, विवाह-संस्कार: स्वरूप एवं विकास (तेलुगू) आदि कृतियों का अनुवाद। सम्प्रति: तेलुगू के प्रसिद्ध क्रांतिकारी लेखक स्वर्गीय गुडिपाटि वेंकटचलम के व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर ‘रमणी से रमणाश्रम तक’ शीर्षक के तहत कार्य।
सी. एस. मिश्र
डॉ. सी.एस. मिश्र सम्प्रति मध्यप्रदेश वित्त आयोग के सदस्य के रूप में कार्यरत हैं | इसके पूर्व ये रविशंकर विश्वविद्यालय, रायपुर में अर्थशास्त्र के प्राध्यापक थे | वे एक प्रख्यात शिक्षवित, विद्वान और प्रभावशाली वक्ता हैं | उन्होंने उच्च स्तर पर सफल लोगों के व्यक्तित्व और विचार का गहरा अध्ययन भी किया है | उनका दृढ विश्वास है, कोई भी आदमी अगर ठान ले कि उसे यह काम करना है, तो वह करके रहेगा | अपने व्याख्यानों में वे कार्य निष्पादन क्षमता के विकास हेतु श्रोताओं को चरणबद्ध ढंग से अभिप्रेरित करते हैं | व्यक्तित्व विकास के नये आयामों की तलाश में डॉ. मिश्र की भूमिका उल्लेखनीय है |
ई-मेल : mishra_1935@sify.com
कैप्टन अब्बास अली
जन्म 3 जनवरी, 1०, कूक़लंदरढ़ी, उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर जिले में । शिक्षा खुर्जा और फिर अलीगढ़ मुमुस्लिमिश्वविद्यालय में । बचपन से ही भगत सिंह के क्रातिकारी विचारों से प्रभावित । 1939 मे ब्रिटिश सेना में भर्ती । द्वितीय विश्बयुद्ध के दौरान जापानियों द्वारा युद्धबंदी बनाए गए । आजाद हिंद फौज में शामिल और नेताजी सुभाषचंद्र बोस के नेतृत्व में आजादी की लड़ाई लड़ी । ब्रिटिश सेना द्वारा युद्धबंदी बनाए गए । कोर्ट मार्शल हुआ और सजा-ए-मौत सुनाई गई ।
1948 में आचार्य नरेन्द्र देव, जयप्रकाश नारायण और डी. राराममनोहरोहिया के नेतृत्व में सोशलिस्ट पार्टी में शाशामिल 1१६८ में उत्तर प्रदेश संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी और मे सोशलिस्ट पार्टी के राज्यमंत्री चुने गए । 1967 में उत्तर प्रदेश में बनी पहली गैर कांग्रेसी संविद सरकार के निर्माण में अहम भूमिका । आपातकाल के दौरान 15 माह बुलंदशहर, बरेली और नैनी सेंट्रल जेल में बंद रहे । 1977 में उत्तर प्रदेश जनता पार्टी के अध्यक्ष बनाए गःए । गएं 6 वर्षा के लिए उत्तर प्रदेश विधान परिषद के लिए निर्वाचित । 5० से अधिक बार सिविल नाफरमानी दोलनों के तहत जेल यात्रा ।
केप्टन जे. फोरसिथ
जन्म: 18 दिसम्बर 1837
केप्टन जे. फोरसिथ सेंट्रल प्रोविंसिस और बरार (अविभाजित मध्य प्रदेश का तत्कालीन नाम) के लगभग डेढ़ सौ वर्ष पूर्व प्रभारी कंजरवेटर ऑफ फॉरेस्ट थे। इसके बाद वे निमाड़ जिले के वित्तीय कमिश्नर भी रहे। केप्टन फोरसिथ ने तत्कालीन मध्य प्रदेश के बारे में बड़े विस्तार से इस पुस्तक में जानकारी दी। उन्होंने सतपुड़ा पर्वत शृंखला हिन्दू राज्य, मुगलों का राज्य, गोंड राजाओं की पराजय मध्य प्रदेश में लूटपाट का साम्राज्य और अंग्रेजों के आगमन से लेकर नर्मदा की घाटी, महादेव की पहाड़ियाँ और जनजातीय क्षेत्रों के बारे में तथा सागौन के सात क्षेत्र, शेर आदि के बारे में बड़े विस्तार से लिखा है। एक तत्कालीन पत्रिका ‘द ग्रॉफिक’ में उनके बारे में लिखा है कि वे विद्वान्, प्रकृति प्रेमी और खिलाड़ी थे। इसके साथ ही उनमें साहित्यिक प्रतिभा का भी अद्भुत संगम था।
केप्टन फोरसिथ की यह किताब उनकी मृत्यु के पश्चात् सन् 1871 में प्रकाशित हुई और आज तक जनजातियों के मामलों में एक सम्पूर्ण सन्दर्भ ग्रन्थ बनी हुई है।
मृत्यु: 17 सितम्बर 1864
Carlo
कैथरीन क्लैमाँ
जन्म - 1939, पेरिस में ।
शिक्षा - 1962 में दर्शन में फ्रांसीसी शिक्षा-पद्धति की उच्चतम उपाधि । सोबोर्न विश्वविद्यालय में ब्लादीमीर जेन्कलविच की सहायक । 1978, पेरिस विश्वविद्यालय में प्रोफेसर । 1982-87, विदेश मंत्रालय में फ्रांस और अन्य देशों में कलात्मक संबंधों के एसोसियेशन की निदेशक । 1987-91, भारत में फेस्टिवल ऑफ फ्रांस के डाइरेक्टर जनरल की प्रतिनिधि । साढे चार वर्ष वियना में रहने के बाद इस समय अफ्रीका में निवास ।
प्रकाशन : अंग्रेजी में अनूदित गैर-कथात्मक रचनाएं : द वियरी संस ऑफ-फ्रायड; लाइफ एड लीजेंड्स ऑफ जाक् लाकां?
ऑपेरा और द अनडूइंग ऑफ विमेन (एलेन सिक्सु के साथ); द न्यू बोर्न वूमेन; सिंकोप, द फिलॉसफी ऑफ रैपचर ।
इसके अतिरिक्त फ्रांसीसी भाषा में नौ रचनाएं जिनका अनुवाद अंग्रेजी में नहीं हुआ । फ्रांसीसी में आठ उपन्यास ।
काव्य-संग्रह : ग्रोइंग एन इडियन स्टार (विकास) । विभिन्न रचनाओं का विश्व की अनेक भाषाओं में अनुवाद ।
डा. चम्पा श्रीवास्तव
जन्म : 13 जुलाई 1951 रायबरेली ।
शिक्षा : एम.ए. (हिन्दी), कानपुर विश्वविद्यालय उप्र.), पीएचडी. सागर विश्वविद्यालय मप्र.)
गतिविधियाँ : हिन्दी के आत्मकथात्मक साहित्य का विकास विषय पर शोधकार्य । सम्प्रति एसोसिएट प्रोफेसर, हिन्दी विभाग, फिरोज गांधी स्नातकोत्तर कॉलेज, रायबरेली (कानपुर विश्वविद्यालय, कानपुर), 38 वर्षो से स्नातक एवं स्नातकोत्तर कक्षाओं में शिक्षण । राष्ट्रीय एवं अन्तर्राष्ट्रीय शोध पत्रिकाओं में शोध पत्र प्रकाशित 1 आकाशवाणी, रेडियो एवं दूरदर्शन में साहित्यिक वार्तायें एवं परिचर्चा । राष्ट्रीय एवं अन्तर्राष्ट्रीय कार्यशाला एवं संगोष्ठियों में सहभागिता ।
सम्मान : भारत की सर्वश्रेष्ठ वक्ता (जेसीरेट) का मिल्टन अवार्ड, भारतीय जूनियर चैम्बर, लायन्स क्लब द्वारा उत्कृष्ट शिक्षकत्व सम्मान से विभूषित, अन्तर्राष्ट्रीय मानस संगम द्वारा सम्मान, नगर निगम डिग्री कॉलेज लखनऊ द्वारा हिन्दी सेवा हेतु सम्मान, उप्र. हिन्दी साहित्य सम्मेलन प्रशस्ति पत्र, महिला जगत का गौरव-सुरभि साहित्य संस्कृत अकादमी, रायबरेली, रेणु स्मृति सम्मान, सरस्वती प्रतिष्ठान रायबरेली, गौरापंत शिवानी सम्मान, महावीर प्रसाद द्विवेदी सम्मान, सरोजनी मिश्रा स्मृति सम्मान, उत्कृष्ट लेखिका सम्मान, खालसा सम्मान, ज्ञान भारती सम्मान, परशुराम सम्मान, निराला सम्मान 2010 डलमऊ, प्रियंवदा सम्मान 2010 इटौंजा, पं. बृज बिहारी द्विवेदी सम्मान ।
जन्म: उत्तर प्रदेश के एटा ज़िले के एक गाँव में।
शिक्षा: दिल्ली विश्वविद्यालय से अंग्रेज़ी और हिंदी में एम.ए.। अंग्रेज़ी के नाटककार आर्नल्ड वैस्कर पर पी-एच.डी.।
कार्य: दिल्ली विश्वविद्यालय के एक कॉलेज में अंग्रेज़ी साहित्य के प्राध्यापक, अब सेवानिवृत्त।
प्रकाशित रचनाएँ: प्रहार स्याह रात पर (राजकुमार सैनी के साथ संयुक्त कविता-संकलन), खोलो बंद झरोखे (कविता संकलन), समकालीन सौंदर्यशास्त्र (संपादित), मुक्तिबोध के प्रतीक और बिंब, आलोचना की शुरुआत, आलोचना यात्रा, हिंदी कथा साहित्य: विचार और विमर्श (आलोचना), मार्क्सवाद और साहित्य (रूसी आलोचना की बहस का हिंदी अनुवाद), कई पुस्तकों के सहयोगी संपादक, प्रालोचन का संपादन, उत्तरगाथा के संपादन से जुड़े रहे, अंग्रेज़ी पत्रिका Journal of Arts & Ideas के संपादन से जुड़े रहे।
नया पथ के संपादन से जुड़े हैं।
सम्प्रति: स्वतंत्र लेखन।
आवास: 173 कादंबरी, सेक्टर 9, रोहिणी, दिल्ली-110085
ई-मेल: chanchalchauhan1941@gmail.com
जन्म: 2, जनवरी, 1951। साकीना गाँव पूरालाल, थाना बदलापुर, जिला जौनपुर (उत्तर प्रदेश) में जन्मे चंचल ठेठ गँवई मानसिकता वाले कलाकार हैं। लेखन, पेंटिंग, कार्टून के साथ मूर्तिशिल्प से विशेष लगाव।
काशी विश्वविद्यालय, वाराणसी के ललित कला संकाय से बी.एफ. और फिर वहीं से पत्रकारिता में डिप्लोमा। विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं से अल्पकालिक जुड़ाव। पाकिस्तान, क्यूबा, मोरक्को और रूस की यात्रा। कई देशों के विभिन्न संस्थानों एवं निजी संग्रहों के लिए पेंटिंग और रेखाचित्रों में चयन-सहयोग। पत्रकारिता, लेखन, कार्टून, पेंटिंग्स, मूर्तिशिल्प, यहाँ तक कि राजनीति को भी परस्पर पूरक मानते हैं।
पेंटिंग के लिए मूर्त गाँव और गँवई चरित्र प्रिय विषय रहे हैं। इनमें चटख रंगों का प्रयोग अक्सर देखने योग्य होता है। इनकी कृतियों में देशी जमीन के विभिन्न तत्त्वों और लोक-जीवन की विभिन्न छवियों का सुन्दर संयोजन हुआ है।
ChandrashekharKambar
जन्म: बिहार के पटना जिले में।
शिक्षा: पटना विश्वविद्यालय से विज्ञान में स्नातक।
भारतीय रेलवे सेवा में 36 वर्षों तक विभिन्न पदों पर कार्यरत रहे। इस दौरान उनका रूझान खेल के प्रति अवश्य हुआ, लेकिन योग के प्रति कोई विशेष लगाव नहीं था।
सेवा निवृत्ति के पश्चात् गंगोत्री, बद्रीनाथ, उत्तर काशी, केदारनाथ आदि विभिन्न स्थानों की यात्रा के दौरान जब उनका विभिन्न सन्त-महात्माओं से परिचय बढ़ा तब उन्हीं के सान्निध्य में वह योग की ओर प्रेरित हुए तथा उनसे कई तरह की योग सम्बन्धी जानकारियाँ प्राप्त कीं।
चन्द्रभानु गुप्त ने अपनी उन्हीं जानकारियों को शब्द दिये हैं इस महत्त्वपूर्ण पुस्तक में।
चन्द्रकांत देवताले
जन्म: 7 नवम्बर, 1936; जौलखेड़ा, जिला - बैतूल (मध्यप्रदेश) में। शिक्षा: एम.ए. पी-एच.डी.।
कविता-संग्रह: ‘पहचान’ सीरीज़ में प्रकाशित हड्डियों में छिपा ज्वर (1973); दीवारों पर खून से (1975); लकड़बग्घा हँस रहा है (1980); रोशनी के मैदान की तरफ़ (1982); भूखण्ड तप रहा है (1982); आग हर चीज़ में बताई गई थी (1987); पत्थर की बैंच (1996); इतनी पत्थर रोशनी (2002); उसके सपने (विष्णु खरे-चन्द्रकांत पाटील द्वारा संपादित संचयन, 1997); बदला बेहद महँगा सौदा (नवसाक्षरों के लिए साम्प्रदायिकता विरोधी कविताएँ, 1995); उजाड़ में संग्रहालय (2003)। मराठी से अनुवाद: पिसाटी का बुर्ज - दिलीप चित्रे की कविताएँ (1987)। समीक्षा: मुक्तिबोध: कविता और जीवन विवेक (2003)। सम्पादन: दूसरे-दूसरे आकाश (1967, यात्रा-संस्मरण)। डबरे पर सूरज का बिम्ब (मुक्तिबोध का प्रतिनिधि गद्य, 2002)।
समकालीन साहित्य के बारे में अनेक लेख, विचार-पत्र तथा टिप्पणियाँ प्रकाशित। अंग्रेजी, मलयालम, मराठी से कविताओं के हिन्दी अनुवाद।
कविताओं के अनुवाद प्रायः सभी भारतीय भाषाओं और कई विदेशी भाषाओं में भी। अंग्रेजी, जर्मन, बांग्ला, उर्दू, कन्नड़ तथा मलयालम के अनुवाद-संकलनों में कविताएँ। लम्बी कविता भूखण्ड तप रहा है तथा संकलन उसके सपने का मराठी में अनुवाद। आवेग के अतिरिक्त त्रिज्या, वयम् तथा मराठी पत्रिका नंतर से सम्बद्ध रहे। ब्रेख्त की कहानी सुकरात का घाव का नाट्य-रूपान्तरण।
सम्मान एवं सम्बद्धता: सृजनात्मक लेखन के लिए ‘मुक्तिबोध फ़ैलोशिप’ तथा ‘माखनलाल चतुर्वेदी कविता पुरस्कार’ से सम्मानित। वर्ष 1986-87 में म.प्र. शासन का ‘शिखर सम्मान’। उड़ीसा की ‘वर्णमाला साहित्य संस्था’ द्वारा 1993 में ‘सृजन भारती’ सम्मान। 1999-2000 का ‘अ.भा. मैथिलीशरण गुप्त सम्मान’। 2002 का ‘पहल सम्मान’। ‘साहित्य अकादमी पुरस्कार’। म.प्र. साहित्य परिषद् के उपाध्यक्ष के अतिरिक्त नेशनल बुक ट्रस्ट, राजा राममोहनराय लाइब्रेरी फाउण्डेशन, केन्द्रीय हिन्दी संस्थान आदि के सदस्य। केन्द्रीय साहित्य अकादमी के भी सदस्य रहे। अतिथि साहित्यकार, प्रेमचन्द सृजनपीठ, उज्जैन, मध्य प्रदेश से भी सम्बद्ध रहे।
जन्म: 5 नवम्बर 1953, जबलपुर म.प्र.।
शिक्षा: रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय से स्नातकोत्तर उपाधि, बी.एड.। राष्ट्रीय योग्यता परीक्षा नेट, पोस्ट ग्रेजुएट डिप्लोमा इन रूरल डेवलपमेंट, इग्नू, दिल्ली।
अध्यापन के क्षेत्र में आजीविका की शुरुआत। परिक्रमा पर्यावरण शिक्षा संस्थान के निदेशक के रूप में सक्रिय। राजीव गांधी जलग्रहण क्षेत्र प्रबन्धन मिशन मध्यप्रदेश शासन के परियोजना अधिकारी के रूप में 1997-2003 तक वाटरशेड प्रबन्धन का सफल क्रियान्वयन।
आकाशवाणी, जबलपुर से पर्यावरण रेडियो पत्रिका ताकि बची रहे हरियाली का 1992 से 1999 तक सम्पादन। कृषि परिक्रमा कार्यक्रम का संयोजन तथा आकाशवाणी, जबलपुर के लिए ही औषधीय फसलों की कृषि विधि पर आधारित उत्तम: स्वास्थ्य कार्यक्रम हेतु 13 ऐपिसोड का स्क्रिप्ट-लेखन। नाटक: सहस्रबाहु का प्रसारण, त्रिपुरी की इतिहास गाथा शीर्षक 13 ऐपिसोड का स्क्रिप्ट लेखन।
‘नवभारत’ तथा ‘नवभास्कर’ समाचार-पत्रों में साप्ताहिक स्तम्भ-लेखन। अनेक नाटकों, नुक्कड़ नाटकों में अभिनय एवं निर्देशन। मानव संसाधन विकास मंत्रालय, नई दिल्ली की जूनियर फैलोशिप 1992 के अन्तर्गत उपन्यास-लेखन।
कृतियाँ: इतिहास के झरोखे से, कल्चुरि राजवंश का इतिहास, कामकंदला (उपन्यास), बेगम बिन बादशाह (कहानी संग्रह), दिन फेरें घूरे के, बिन बुलाए मेहमान, क्योंकि मनुष्य एक विवेकवान प्राणी है, आओ पकड़ें टोंटी चोर, तरला-तरला तितली आई, काले मेघा पानी दे, चलो करें वन का प्रबन्धन, (नुक्कड़ नाटक) तथा सामान्य पर्यावरण ज्ञान, पेड़ों ने पहने कपड़े हरे (पर्यावरण गीत)।
कुछ कहानियों का तमिल तथा तेलुगू भाषा में अनुवाद।
सम्पर्क: परिक्रमा, 1234, जे.पी. नगर, अधारताल, जबलपुर (म.प्र.)।
जन्म: 3 सितम्बर, 1938 में (प्रोफेसर रामचन्द्र पंडित की पुत्री; पति डॉ. एम.एल. बिशिन) श्रीनगर (कश्मीर)
शिक्षा: एम.ए., बी.एड.; बी.ए. (गर्ल्स कॉलेज) एवं हिन्दी प्रभाकर (ओरियंटल कॉलेज); बी.एड. (गांधी मेमोरियल कॉलेज), श्रीनगर, कश्मीर; बी.एड. में जम्मू-कश्मीर यूनिवर्सिटी में प्रथम स्थान और एम.ए. (हिन्दी), बिड़ला आर्ट्स कॉलेज, पिलानी, राजस्थान यूनिवर्सिटी; एम.ए. (हिन्दी), बिड़ला आर्ट्स कॉलेज में द्वितीय स्थान प्राप्त किया।
प्रकाशित रचनाएँ: कहानी-संग्रह - सलाख़ों के पीछे: 1975; ग़लत लोगों के बीच: 1984; पोशनूल की वापसी: 1988; दहलीज़ पर न्याय: 1989; ओ सोनकिसरी!: 1991; कोठे पर कागा: 1993; सूरज उगने तक: 1994; काली बर्फ: 1996; प्रेम कहानियाँ: 1996; चर्चित कहानियाँ: 1997; कथा नगर: 2001; बदलते हालात में: 2002; आंचलिक कहानियाँ: 2004; अब्बू ने कहा था: 2005; तैंती बाई: 2006; कथा संग्रह (‘वितस्ता दा जहर’ शीर्षक से पंजाबी भाषा में अनूदित; अनुवादकः श्री हर्षकुमार हर्ष): 2007; रात में सागर 2008। उपन्यास - बाक़ी सब ख़ैरियत है (उड़िया भाषा में अनूदित; अनुवादक: प्रवासिनी तिवारी): 1983; ऐलान गली ज़िन्दा है (अंग्रेजी भाषा में अनूदित; अनुवादक: मनीषा चौधरी): 1984; अपने-अपने कोणार्क: 1995; कथा सतीसर: 2001; अन्तिम साक्ष्य और अर्थान्तर (उड़िया भाषा में अनूदित; अनुवादक: श्रीनिवास उद्गाता): 2006; यहाँ वितस्ता बहती है: 2008। अन्य कृतियाँ - यहीं कहीं आसपास: 1999 (कविता संग्रह); मेरे भोजपत्र: 2008 (संस्मरण एवं आलेख)।
सम्मान: जम्मू-कश्मीर कल्याण अकादमी; हरियाणा साहित्य अकादमी; मानव संसाधन मंत्रालय, भारत सरकार; हिन्दी अकादमी, दिल्ली; व्यास सम्मान (के.के. बिड़ला फाउंडेशन दिल्ली), चन्द्रावती शुक्ल सम्मान; कल्पना चावला सम्मान; ऋचा लेखिका रत्न; वाग्मणि सम्मान; राष्ट्रभाषा गौरव सम्मान; ऑल इंडिया कश्मीरी समाज द्वारा कम्यूनिटी आइकॉन एवार्ड, आदि।
चन्द्रमणि सिंह का जन्म 4 जून,1349 को उत्तर प्रदेश के वाराणसी जिले के कैंथी ग्राम में हुआ । इन्होंने प्रयाग विश्वविद्यालय से भौतिक रसायन में परास्नातक उपाधि प्राप्त की । इसके पश्चात् उत्तर प्रदेश सहकारी सेवा में राजपत्रित पद पर नियुक्त हुए । विभिन्न पदों पर कार्यरत रहते हुए 36 वर्षों की सेवा के उपरान्त वर्ष
2011 में लोकसेवा आयोग उत्तर प्रदेश के सदस्य पद से सेवा निवृत हुए । सम्प्रति स्वाध्याय एवं लेखन में निमग्न ।
प्रकाशित पुस्तकें : वेद, विज्ञान एवं ब्रह्माण्ड (2012); अद्भुत ब्रह्माण्ड (2015 ); असीम सृष्टि (2017 ) ।
वेद, विज्ञान एवं ब्रह्माण्ड पुस्तक पर विज्ञान परिषद प्रयाग द्वारा विज्ञान रत्न श्री लक्ष्मण प्रसाद अविष्कार लेखन सम्मान’, उत्तर प्रदेश हिंन्दी संस्थान, लखनऊ द्वारा 'के.एन. भाल नामित पुरूस्कार' एवं दिल्ली संस्कृत अकादमी द्वारा 'संस्कृत सेवा सम्मान’ से सम्मानित किए जा चुके है । अदभुत ब्रह्माण्ड पुस्तक पर उ.प्र. हिन्दी संस्थापन, लखनऊ द्वारा वर्ष 2015 के लिए आर्यभट्ट आशीष सर्जना पुरस्कार से सम्मानित किया गया ।
सम्पर्क : 3/377, विशाल खण्ड-3, गोमती नगर, लखनऊ, उत्तर प्रदेश ।
ईं-मेल : cmsinghkaithi@gmail.com
मो. : 91-9415101924
चन्द्रशेखर
17 अप्रैल, 1927 को बलिया जिले के इब्राहीम पट्टी गाँव में जन्म।
पिता : सदानन्द सिंह, माँ : द्रौपदी देवी। 1945 में द्विजा देवी से विवाह। 1947 में माँ का निधन।
आरम्भिक शिक्षा गाँव में। 1949 में बलिया के सतीश चन्द्र कॉलेज से बी.ए.। 1951 में इलाहाबाद विश्वविद्यालय से राजनीतिशास्त्र में एम.ए.। इसी वर्ष शोध-कार्य के दौरान आचार्य नरेन्द्रदेव के कहने पर बलिया जिला सोशलिस्ट पार्टी के मंत्री बने। 1955 में प्रदेश सोशलिस्ट पार्टी के महामंत्री। 1962 में राज्यसभा के लिए चुने गए। 1964 में कांग्रेस की सदस्यता ग्रहण की। 1967 में कांग्रेस संसदीय दल के मंत्री। 1969 के बाद लगातार कांग्रेस कार्यसमिति के सदस्य। 1972 में हाईकमान के निर्देश के विरुद्ध लड़कर शिमला अधिवेशन में चुनाव समिति के सदस्य चुने गए।
26 जून, 1975 को आपातकाल लागू होने पर गिरफ्तारी। 19 महीने जेल में। 1977 में जनता पार्टी के अध्यक्ष। इसी वर्ष बलिया से लोकसभा के लिए चुने गए।
1990 की 10 जनवरी को प्रधानमंत्री बने। 1991 के 11 मार्च को त्यागपत्र। लेकिन राष्ट्रपति के अनुरोध पर 20 जून, 1991 तक पद पर रहे।
12 दिसम्बर, 1995 को सर्वश्रेष्ठ सांसद का पुरस्कार।
2004 में बलिया से पुन: लोकसभा के लिए निर्वाचित। 2007 की 8 जुलाई को निधन।
प्रमुख प्रकाशित कृतियाँ : मेरी जेल डायरी, डायनेमिक्स ऑफ सोशल चेंज, जीवन जैसा जिया (आत्मकथा), रहबरी के सवाल, चन्द्रशेखर से संवाद और सर्वश्रेष्ठ सांसद चन्द्रशेखर ।
Chandroya Dikshit
ChankyaSen
चारु गुप्ता दिल्ली विश्वविद्यालय के इतिहास विभाग में पढ़ाती हैं। उन्होंने लन्दन के स्कूल ऑफ ओरिएन्टल एंड अफ्रीकन स्टडीज़ से पी-एच.डी की है।
येल विश्वविद्यालय, वाशिंगटन विश्वविद्यालय और हवाई विश्वविद्यालय में अध्यापन का अनुभव। नेहरू स्मारक संग्रहालय और पुस्तकालय, दिल्ली; सोशल साइंस रिसर्च काउंसिल, न्यूयॉर्क; एशियन फाउंडेशन, थाइलैंड; वेलकम इन्स्टीट्यूट, लन्दन और ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय में फेलो रही हैं।
प्रमुख किताबें, शोध पत्र और लेख: सेक्सुअलिटी, ऑबसेनिटी, कम्युनिटी; कनटेस्टेड कोस्टलाइन्ज़ तथा समाचारपत्र और साम्प्रदायिकता।
हिन्दी की प्रतिष्ठित पत्र-पत्रिकाओं: आलोचना, तद्भव, उद्भावना, हंस और संवेद में रचनाएँ प्रकाशित। आजकल ‘औपनिवेशिक उत्तर भारत में दलित और जेंडर पहचान’ पर शोध।
चव्हाण प्रमोद
नाट्य निर्देशक एवं अन्य कलाओं के अध्येता, शोधार्थी ।
नाट्य-विभाग, महाराजा सयाजी राव विश्वविद्यालय, बड़ौदा से रंगमंच में स्नातक ( 2009) एवं स्नातकोत्तर ( 2011) उपाधि चार स्वर्ण पदकों के साथ । आपको 2011 में मिनिस्टरी ऑफ कल्वर, साउथ कोरिया की ओर से ' 2011 कोरियन आर्ट्स एंड कल्चरल रिसर्च फेलोशिप' प्राप्त हुई । इस दौरान कोरिया का मेजर इन्टेन्नीबल कल्चरल असेट 'हाहूवे रषवमद्ध मास्क डांस थियेटर', 'मास्क मेकिंग' एवं 'पारम्परिक संगीत' सीखने का मौका मिला । साथ ही ' 2011 आंडोंग इंटरनेशनल मास्क डांस फेस्टिवल' एवं ' 2011 एशिया इन डांस' में विक्रमोर्वशीयम् के चतुर्थ अंक की प्रस्तुति की ।
आपने केरल के कलामंडलम् में रहकर कुट्टियाट्टम का आधुनिक रंगमंच सम्बन्धित प्रशिक्षण प्राप्त किया एवं केरल की अन्य कलाओं जैसे कि कथकली, कलरिपायटु, तैयम, मुडियटटु आदि का अभ्यास किया । आपने श्री कावलम नारायण पणिक्कर की संस्था सोपानम में रहकर भारतीय रंगमंच एवं संस्कृत रंगमंच का प्रशिक्षण भी प्राप्त किया है ।
आपका रुझान हमेशा से नाट्य निर्देशन में ही रहा है । आपने वेणी संहारम्, अन्धायुग, वेटिंग फॉर गोदो, जुलूस, दी पैसेज (एंटिगनी एवं मेटामोरफोसिस) आदि नाटकों का सफल निर्देशन किया है ।
सम्प्रति : आप महाराजा सयाजी राव विश्वविद्यालय से पणिक्कर जी के नाटकों पर पी-एच.डी. कर रहे हैं, जिसका विषय है :
चित्रा सिंह हिंदी की सक्रिय कथाकार रही हैं, परंतु कुछ समय से गृहस्थी में व्यस्तता के कारण उन्होंने लेखन पर ध्यान देना बंद कर दिया था।
पेशे से शिक्षिका रहीं, इस लेखिका की भाषा शैली में पुरातन और नए साहित्यक प्रयोगों की छवियाँ एक साथ अनुभव की जा सकती है।
अपने पहले उपन्यास में चित्रा जी ने अपने 30 वर्षों के पारिवारिक तथा निजी जीवन को ही अद्भुत शब्द संयोजन के माध्यम से प्रस्तुत किया है।
चित्रा मुद्गल
जन्म : 10 दिसम्बर, 1943
आपने कहानी, उपन्यास, बाल उपन्यास, बाल कथा-संग्रह, निबन्ध, नाटक समेत लेखन की सभी विधाओं में अपना प्रभाव छोड़ा है। आपकी प्रकाशित कृतियाँ हैं—आवां (आठ भारतीय भाषाओं में अनूदित), गिलिगड्ड, एक ज़मीन अपनी, पोस्ट बॉक्स नम्बर 203, नाला सोपारा आदि (उपन्यास); इस हमाम में, चेहरे, लपटें, आदि-अनादि (तीन खंडों में), जगदम्बा बाबू गाँव आ रहे हैं, भूख, ज़हर ठहरा हुआ, लाक्षागृह, अपनी वापसी, ग्यारह लम्बी कहानियाँ, जिनावर, मामला आगे बढ़ेगा अभी, केंचुल आदि (कहानी); तहखानों में बन्द अक्स (कथात्मक रिपोर्ताज); जीवक, माधवी कन्नगी और मणिमेखलयी (तीन बाल उपन्यास); दूर के ढोल, सूझ-बूझ, देश-देश की लोककथाएँ (बाल कथा-संग्रह); बयार उनकी मुट्ठी में (लेख); सद्गति तथा अन्य नाटक, पंच परमेश्वर तथा अन्य नाटक, बूढ़ी काकी तथा अन्य नाटक (नाट्य-रूपान्तर)।
आपने अनेक पुस्तकों का सम्पादन किया है। दूरदर्शन के लिए टेलीफिल्म वारिस का निर्माण किया है। प्रसिद्ध कहानियों पर आधारित एक कहानी, मंझधार, रिश्ते सरीखे धारावाहिकों में आपकी कई कहानियाँ सम्मिलित हुई हैं। आप प्रसार भारती की बोर्ड मेम्बर और उसी की इंडियन क्लासिक कोर कमिटी की अध्यक्ष रह चुकी हैं। आप 42वें और 68वें नेशनल अवार्ड की ज्यूरी सदस्य रही हैं।
आपका उपन्यास आवां बिड़ला फाउंडेशन के व्यास सम्मान से सम्मानित है। आप इन्दु शर्मा कथा सम्मान (लन्दन), पुश्किन सम्मान (रूस), साहित्य सम्मान (हिन्दी अकादमी, दिल्ली), अवन्ती बाई सम्मान, साहित्य भूषण सम्मान और वीरसिंह देव सम्मान के साथ ही सामाजिक कार्यों के लिए विदुला सम्मान से भी सम्मानित की जा चुकी हैं।
'चित्रा देसाई'
दिल्ली में पलीं-बढीं, अब मुंबई में !
दिल्ली विश्वविद्यालय से राजनीतिशास्त्र में बी.ए. ऑनर्स व् एल.एल.बी., के.सी. लॉ कॉलेज, मुंबई से ऑल्टर्नेटिव डिस्प्यूट रेज्योल्युशन में स्नातकोत्तर सर्टिफिकेट कोर्स !
अनेक लेख व् कविताएँ पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित ! एक कविता-संग्रह शुरू यात्रा में प्रकाशित !
2001 में राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार निर्णायक मंडल की सदस्य ! 2001 से 2004 तक राष्ट्रीय फिल्म संग्रहालय की सलाहकार समिति की सदस्य और 2006 से 2009 तक एस.एन.दी.टी. महिला विद्यापीठ के विभिन्न विभागों में अध्यापन !
1980 से सर्वोच्च न्यायालय में वकालत कर रही हैं ! विदेश मंत्रालय में हिंदी सलाहाकर समिति और बार्कलेज इंडिया की सलाहकार समिति की सदस्य भी हैं !
डॉ० चित्रा चतुर्वेदी 'कार्तिका'
उत्तर प्रदेश के आगरा' जिले के ग्राम होलीपुरा में, २० सितम्बर को जन्म । बचपन एव प्रारम्भिक शिक्षा उज्जैन? ग्वाग्वालियर,दौर व जबलपुर में । इलाहाबाद यूनिर्वसिटी है १९९२ में राजनीति शास्त्र मेँ एम० ए० तथा १६६७१९६७ डी० फिलर की उपाधि प्राप्त की ।
बहुत कम आयु में ही रोग, कष्ट, मृत्यु एव लगातार एक के बाद एरक प्रिय-बिछोह के आघातों संवेदनशीलता धुल-धुल कर और अधिक निर्मल हुई है ।
साहित्यिक अभिरुचि पितापिताश्रीविरासत में पाई । अपने समय कें प्रख्यात साहित्य-समीक्षक स्व० न्यायमूर्ति ब्रजकिशोर चतुर्वेदी ( मध प्र० उच्च न्यायालय) के निर्भीक एवं स्वतन्त्र व्यक्तित्व का गहरा प्रभाव पड़ा मानस पर 1
आठ-नौ वर्ष की आयु मैं पहली कविता 'शिशु में प्रकाशित हुईं थी । छात्र-जीबन में हिन्दी व अंग्रेजी में नाटक तथा रूपकरूपकोंलेखन; निर्देशन व सफन सफलन । कहानियां, कविताएँ और निबन्ध समय-समय पर प्रकाशित । आकाशवाणी पर भी नाटक, प्रहसन व वार्वार्ताएँसारित ।
साहित्य के अतिरिक्त चित्र-कला, छायाछायांकनपर्यटन जीवन कें प्रिय सहचर हैं । प्राकृतिक सौदर्य की उपासिका तथा श्रीचरणों की आराधिका 1
सम्मति--शासकीय कला एव वाणिज्य महा- विद्यालय, जबलपुर में राजनराजनीति्ञान का अध्यापन । अब अवकाश प्राप्त
क्रिस्तोंफ़ जाफ़लो
क्रिस्तोफ़ जाफ़लो सेरी-साइंसेज़ पोओ/सीएनआरएस में सीनियर रिसर्च फैलो एवं किंग्स इंडिया इंस्टिटूयूट (लंदन) में भारतीय राजनीति एवं समाजशास्त्र के प्रोफेसर हैं । उनकी महत्त्वपूर्ण पुस्तकों में दि हिन्दू नैशनलिस्ट मूवमेंट ऐंड इंडियन पॉलिटिक्स-1925-1990, इंडियाज साइलेंट रेवल्यूशन : दि राइज ऑफ़ लोवर कास्ट्स इन नार्थ इंडिया तथा दि पाकिस्तान पैराडॉक्स प्रमुख हैं । वह कई उल्लेखनीय पुस्तकों के सह-सम्पादक भी रहे हैं जिनमें से कुछ ये हैं : एल. गेयर के साथ आर्म्ड मिलिशियाज आँफ साउथ एशिया : फंडामेंटलिस्ट, माओइस्ट्स ऐंड सेरपेटिस्ट्स तथा मुस्लिम इन इंडियन सिटीज; एल नूवेर के साथ पैन इस्लामिक कनेक्शन्स : ट्रांसनैशनल कनेक्शन्स बिटवीन साउथ एशिया ऐंड गल्फ; ए. कोहली एवं के. मुरली के साथ बिजनेस एंड पॉलिटिक्स इन
इंडिया और ए. चैटर्जी एवं टी. ब्लाम हेनसन के साथ मैजोरिटेरियन स्टेट : हाउ हिन्दू नैशनलिज्म इज चेंजिंग इंडिया ।
साल 2014 में उन्हें स्वतंत्र एवं व्याख्यात्मक लेखन श्रेणी में 'रामनाथ गोयनका अवॉर्ड फॉर ऐक्सीलेंस इन जर्नलिज्म’ से सम्मानित किया गया था ।
सम्पर्क : jaffrelot12@gmail.com
जन्म: 20 अक्तूबर, 1907 को प्युटनी में। साहित्येतर, पूरा नाम क्रिस्टोफर सेंट जान स्प्रिग। ईलिंग के बेनेडिक्टाइन स्कूल में पढ़ाई। साढ़े सोलह वर्ष्ज्ञ की आयु में स्कूल छोड़ा।
तीन वर्ष तक ‘यार्कशायर आब्जर्वर’ में संवाददाता रहे। वापस लंदन लौटकर वैमानिकी के एक प्रकाशन-संस्थान में संपादक के रूप में कार्य, बाद में वहीं डायरेक्टर हुए। किसी भी ओर मोडे़ जानेवाले गीयर का आविष्कार, जिसकी डिजाइनें ‘आटोमोबाइल इंजीनियर’ में प्रकाशित हुईं।
असाधारण प्रतिभा के धनी, प्रख्यात मार्क्सवादी चिंतक और लेखक। राजनीतिक कार्यकर्ता और सैनिक के रूप में भी उल्लेखनीय कार्य। कम्युनिष्ट पार्टी की पोप्लर शाखा में सक्रिय भूमिका निभाते हुए उसके अग्रणी नेता की हैसियत से स्पेन के गृहयुद्ध में हिस्सेदारी। इंटरनेशनल ब्रिगेड में भर्ती हुए और 12 फरवरी, 1937 को जरमा के मोर्चे पर मृत्यु।
एक बहुआयामी लेखकीय व्यक्तित्व के नाते 25 वर्ष की आयु से पहले ही वैमानिकी पर पांच पाठ्य पुस्तकें, सात उपन्यास तथा कुछ कविताएं और कहानियां प्रकाशित। मई, 1935 में क्रिस्टोफर कॉडवेल नाम से ‘दिस माई हैंड’ नामक उपन्यास का प्रकाशन। उपन्यासों और पाठ्य-पुस्तकों के अलावा साहित्य और संस्कृति विषयक प्रायः सभी कृतियों का प्रकाशन मरणोपरांत। मुख्य कृतियां हैं: विभ्रम और यथार्थ (इल्यूज़न एंड रियलिटी); मरणासन्न संस्कृति का अध्ययन (स्टडीज़ इन ए डाइंग कल्चर), क्राइसिस इन फीजिक्स तथा मरणासन्न संस्कृति का कुछ और अध्ययन (फर्दर स्टडीज इन ए डाइंग कल्चर)।
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