लखनऊ से लाहौर तक में श्रीमती प्रकाशवती पाल ने ऐसी अनेक ऐतिहासिक घटनाओँ और व्यक्तियों के संस्मरण प्रस्तुत किये हैं जिनसे उनका प्रत्यक्ष और सीधा सम्पर्क रहा है । संस्करण क्रम-बद्ध रूप में 1929 से शुरू होते हैं। उस वर्ष सरदार भगत सिह ने देहली असेम्बली में बम फेका था । लाहौर कांग्रेस में आजादी का प्रस्ताव भी उसी वर्ष पास हुआ था ।
क्रान्तिकारी आन्दोलन में प्रकाशवती जी किशोरावस्था में ही शामिल हो गयी थी । अनेक संघर्षों और खतरनाक स्थितियों के बीच में चन्द्रशेखर आजाद, भगवती चरण, यशपाल आदि क्रान्तिकारिर्यों के निकट सम्पर्क में आयीं । एक अभूतपूर्व घटना के रूप में 1936 में उनका विवाह बन्दी यशपाल से जेल के भीतर सम्पन्न हुआ ।
इन और ऐसी अनेक स्मृतियों को समेटते हुए यह संस्मरण आजादी की लडाई और बाद के अनेक अनुभवों को ताजा करते हैं, साथ ही अनेक राजनीतिज्ञों, क्रांतिकारियों और प्रसिध्द साहित्यकारों के जीवन पर सर्वथा नया प्रकाश डालते हैं । यह पुस्तक पिछले पैंसठ वर्षों के दौरान राजनीति और साहित्य के कई अल्पविदित पक्षों का
अधिकारिक, अत्यंत महत्वपूर्ण और पठनीय दस्तावेज है ।
श्रीमती प्रकाशवती पाल - प्रसिध्द क्रान्तिकारी और लेखक यशपाल की क्रान्तिकारी पत्नी-ज़न्म 31 जनवरी 1914 । लाहौर के
खत्री परिवार में ।
श्रीमती प्रकाशवती पाल की गणना उन क्रान्तिकारियों में है जिन्होंने देश को स्वाधीन कराने में अपने जीवन के हर पल को अर्पण
किया । जिनका क्रान्तिकारी गतिविधियो से परिचय विद्यार्थी जीवन से ही हो गया था ।
लाहौर के विदेशी कपडों की होली में अपने गोटे किनारी लगे कपडे जला दिये और लाहौर कांग्रेस में वालंटियर बनकर आजादी की लडाई में भाग
लिया ।
फिर व्यग्र हो उसी तो परिवार को छोड़ ब्रिटिश सरकार को चोट देने के लिए क्रान्तिकारी दल में सम्मिलित हो गयी । लगातार आर्थिक सहायता भी
दी । यशपाल और चन्द्रशेखर आजाद से सफ़ल निशाना लगाने की शिक्षा पायी ।
देहली कांस्परेसी केस में वह मुख्य अभियुक्त थीं । ब्रिटिश सरकार का इनाम उनके सिर पर था । सन् 1934 में प्रकाशवती दरियागंज, दिल्ली में गिरफ्तार हो गयी ।
सत् 1936 में बोली जेल में यशपाल से एक रुपया चार आना में विवाह कर, पढाई में व्यस्त हो दाँतों क्री सर्जन बन गयी: ।
मार्च 1938 में यशपाल के रिहा होने पर 'विप्लव' पत्रिका के प्रकाशन में सहयोग दे सफल बनाया । यशपाल को आर्थिक चिन्ताओँ से मुक्त
कर प्रकाशन का काम संभाल लिया । जीवन भर यशपाल के साथ सुखी दाम्पत्य जीवन जी कर साहित्य सृजन में सहयोग दिया ।