भूकम्प, चक्रवात, बाढ़ और सूखा जैसी विनाशकारी आपदाओं से मनुष्य-समाज आदिकाल से आक्रान्त रहा है । संसार के विभिन्न भागों में समय-समय पर इन आपदाओं के चलते जान-माल की अपूरणीय क्षति होती रही है। इसलिए सिर्फ भारत के लिए ही नहीं, विश्व-भर के लिए आज ये गंभीर चुनौती बनी हुई हैं। पूरी दुनिया में इन आपदाओं के संकट से मनुष्य को मुक्त करने हेतु इनके नियंत्रण, रोकथाम और प्रबन्धन आदि पर व्यापक कार्यक्रम बनाए जा रहे हैं ।
लेकिन इन आपदाओं से बचाव के लिए जनसाधारण को इनके विषय में आधारभूत जानकारियाँ देना भी उतना ही जरूरी है । इसीलिए प्रस्तुत पुस्तक में भूकम्प, ज्वालामुखी, चक्रवात, बाढ़, सूखा, टारनेडो और तडि़त झंझा आदि आपदाओं की भौगोलिक स्थिति, कारणों, प्रभावों, चेतावनियों-सावधानियों तथा नियंत्रण व रोकथाम आदि के तरीकों पर प्रकाश डाला गया है । प्राकृतिक आपदाएँ हमारी आर्थिक व सामाजिक व्यवस्था को तो नष्ट करती ही हैं, साथ ही इनसे प्रभावित क्षेत्रों के निवासियों का मनोबल भी भंग होता है, जिसका राष्ट्रों की विकास-प्रक्रिया पर दूरगामी असर पड़ता है । इस परिप्रेक्ष्य में इस पुस्तक का अध्ययन अत्यन्त उपयोगी और प्रकृति के सम्मुख विवश हमारे मन को धैर्य बँधानेवाला होगा, ऐसी हमें उम्मीद है ।
आप भारत मौसम विज्ञान विभाग में अपर महानिदेशक (अनुसंधान) के पद पर कार्य करने के उपरान्त विशिष्ट वैज्ञानिक पद पर नियुक्त किए गए। आपने मौसम और भूकम्प विज्ञान आदि विषयों पर अब तक 200 शोधपत्र एवं लेख लिखे हैं। 1994 में आपकी पुस्तक ‘वायुमंडलीय प्रदूषण’ को भारत सरकार (पर्यावरण तथा वन मंत्रालय) द्वारा प्रथम पुरस्कार से सम्मानित किया गया। इससे पूर्व आपकी पुस्तक ‘भूकम्प’ को उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा विशिष्ट पुरस्कार दिया गया। 1989 में आपको भारत सरकार ने राष्ट्रीय खनिज पुरस्कार प्रदान किया। 1990 में राष्ट्रीय साइंस अकादमी के फेलो चुने गए। आप कई अन्तरराष्ट्रीय वैज्ञानिक संस्थाओं के सदस्य हैं और विश्व के कई देशों में आयोजित गोष्ठियों में भाग लेते रहे हैं। भारत सरकार के विज्ञान तथा प्रौद्योगिकी विभाग तथा पर्यावरण एवं वन मंत्रालय द्वारा आयोजित समितियों के सदस्य के रूप में भी अपना बहुमूल्य योगदान देते रहे हैं।
नेशनल बुक ट्रस्ट द्वारा अंग्रेजी में प्रकाशित आपकी पुस्तक ‘फोरकास्टिंग अर्थक्वेक’ विशेष लोकप्रिय रही है।